हिमाचल प्रदेश हिम उन्नति योजना
हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश के किसानों के कल्याण के लिए हिम उन्नति योजना को शुरू किया है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर क्लस्टर स्थापित किए जाएंग। इसमे प्रदेश के सभी किसानों के द्वारा की गई खेती का रिकॉर्ड रखा जाएगा और सभी जिलों में कॉल सेंटर की स्थापना भी की जाएगी ताकि जरूरत पड़ने पर किसान कॉल सेंटर की मदद से अपनी समस्या का समाधान प्राप्त कर सकें।
हिमाचल हिम उन्नति योजना का उद्देश्य
योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के किसानों की समस्याओं का समाधान कर उन्हे योजना का लाभ लेने के लिए प्रेरित करना है। इस योजना के माध्यम से क्षेत्र विशेष आधारित एकीकृत और समग्र कृषि को प्रदेश में बढ़ावा देना है।
हिमाचल हिम उन्नति योजना के लिए निर्धारित बजट
हिम उन्नति योजना के लिए सरकार द्वारा 150 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है। जिसके आधार पर ही किसानों को योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा। वर्तमान वित्त वर्ष 2023-2024 में योजना के अन्तर्गत 25 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है।
हिम उन्नति योजना के लिए क्लस्टर की होगी स्थापना
हिम उन्नति योजना के अंतर्गत प्रदेश भर में भौगोलिक परिस्थितियों, स्थानीय जलवायु और मिट्टी की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए क्लस्टर तैयार किए जाएंगे। हिम उन्नति के अंतर्गत कृषि और उससे सम्बन्धित क्षेत्र के समेकित विकास करने के लिए न्यूनतम 40 बीघा खेती योग्य क्षेत्र वाले 1239 शंकुलों की पहचान की गई है। इस योजना के लिए प्रदेश मे कुल 2600 क्लस्टर बनाए जाएंगे। जिनमें कृषि विभाग द्वारा 1200, प्राकृतिक खेत इकाई के 1100 और जायका के 300 क्लस्टर तैयार करना शामिल हैं। अब तक 286 क्लस्टरों को चिन्हित किया गया है जिनमें से 186 क्लस्टरों में खरीफ 2023 सीजन से गतिविधियॉं शुरू कर दी गई है।
हिम उन्नति योजना के लिए मोबाइल वेटरनरी यूनिट भी शुरू की जाएगी
हिमाचल प्रदेश राज्य के जो भी किसान किसानी कार्य के साथ-साथ पशुपालन में रुचि रखते हैं उनके लिए हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा मोबाइल वेटरनरी यूनिट भी शुरू की जाएगी, जिससे किसानो को एक फोन कॉल के माध्यम से अपने बीमार पशुओं का इलाज प्राप्त करने मे मदद मिल सकेगी। मोबाइल वेटरनरी यूनिट के जरिए डॉक्टरों की टीम भी बीमार पशु का इलाज करने पहुंचेगी।
हिम उन्नति योजना के लाभ
हिम उन्नति योजना की शुरुआत हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए की गई है।
इस योजना के जरिए किसानों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
क्षेत्र विशेष की क्षमता के अनुरूप दूध उत्पादन, दालें, मोटे अनाज, सब्जियां, फल, नगदी फसल व प्राकृतिक खेती के अलग से क्लस्टर बनाए जाएंगे।
इस योजना से किसानों के द्वारा की गई खेती का रिकॉर्ड रखा जाएगा और सभी जिलों में कॉल सेंटर की स्थापना भी की जाएगी।
कृषि और पशुपालन विभाग की सभी वर्तमान योजनाओं को एकीकृत करके इस कार्य योजना से जोड़ा जाएगा।
प्रत्येक जिले में जलवायु के हिसाब से कौन सी खेती की जा सकेगी इसकी जानकारी भी किसानों को मुहैया करवाई जाएगी। ताकि अधिक से अधिक उत्पादन किया जा सके।
इस योजना के माध्यम से एकीकृत एवं समग्र कृषि गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
मोबाइल वेटरनरी यूनिट शुरू होने से जो भी किसान पशुपालन का कार्य भी कर रहे हैं उनको भी इसका लाभ प्राप्त होगा।
सरकार के द्वारा योजना का सफल संचालन किया जाएगा, इसके लिए कॉल सेंटर भी स्थापित किए जाएंगे।